बैठक रही हंगामेदार—–चढूनी व राकेश टिकैत के समर्थक हूटिंग करते दिखाई दिए
एसएनई न्यूज़.दिल्ली।
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 348 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों ने मंगलवार को एक बड़ा ऐलान किया है। मंगलवार सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यालय में किसानों की अहम बैठक हुई। बैठक में 26 नवंबर को एक साल पूरा होने पर दिल्ली कूच व आंदोलन की नई रणनीति को लेकर अहम फैसले लिए गए। बैठक काफी हंगामेदार रही और बैठक के दौरान बाहर गुरनाम चढूनी व राकेश टिकैत के समर्थक हूटिंग करते रहे।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य राकेश टिकैत ने बैठक के बाद बताया कि किसान 26 नवंबर को सभी राज्यों की राजधानियों में प्रदर्शन करेंगे। इसमें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में नहीं होंगे। क्योंकि यहां पहले से ही बैठक हो रही है। 26 नवंबर तक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटेगी। वहां बड़ी सभाएं भी होंगी।
500-500 के जत्थे दिल्ली जाएंगे
29 नवंबर से दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। एसकेएम ने निर्णय लिया है कि 29 नवंबर से संसद के इस सत्र के अंत तक 500 चयनित किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में हर दिन शांतिपूर्ण और पूरे अनुशासन के साथ संसद जाएंगे। जिन बॉर्डरों को सरकार ने खोलने की बात कही है, उन बॉर्डरों से 500-500 के जत्थे दिल्ली जाएंगे। साथ ही जहां पर किसानों को रोका जाएगा, वहीं पर वह गिरफ्तारी देंगे। गौरतलब है कि गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर से रास्ते हाल ही में खोले गए हैं।
चढूनी समर्थकों ने उठाए सवाल
कुंडली बॉर्डर पर एसकेएम की बैठक के बीच में ही जब राकेश टिकैत उठकर दूसरे कमरे में चले गए तो बाहर खड़े गुरनाम सिंह चढूनी गुट के समर्थकों ने सवाल उठाए और नारेबाजी शुरू कर दी। चढूनी समर्थकों ने कहा कि बैठक के बीच में टिकैत मीडिया से बात करने क्यों जा रहे हैं। उनके लिए मीडिया अहम है या मोर्चा की बैठक अहम है। वहीं, गुरनाम चढूनी समर्थकों ने राकेश टिकैत को सरकार का आदमी बताते हुए उन पर निशाना भी साधा।
28 को मुंबई में होगी महापंचायत
28 नवंबर को मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले महाराष्ट्र के 100 से अधिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा। 28 नवंबर को महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। महापंचायत में कृषि कानूनों और श्रम संहिताओं को निरस्त करना, उचित एमएसपी की गारंटी देने वाला केंद्रीय कानून, डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमत को आधा करना और निजीकरण पर रोक आदि मुद्दे शामिल रहेंगे।
मरने वाले ज्यादातर सीमांत किसान
एसकेएम ने दावा किया है कि पंजाबी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर लखविंदर सिंह और पंजाबी विश्वविद्यालय के गुरु काशी परिसर, बठिंडा में सामाजिक विज्ञान के सहायक प्रोफेसर बलदेव सिंह शेरगिल द्वारा लिखे गए एक अध्ययन से पता चला है कि कृषक आंदोलन में मरने वाले अधिकांश किसान छोटे और सीमांत किसान थे। अपनी जान गंवाने वालों के स्वामित्व वाले खेत का औसत रकबा 2.26 एकड़ है। यह अध्ययन उस दावे को खारिज करता है कि कृषक आंदोलन के पीछे अमीर किसान हैं।