एसएनई नेटवर्क.कश्मीर।
आतंकियों तथा उनके मददगारों ने सुरक्षाबलों के रडार से बचने के लिए नए तौर तरीके (मॉडस ऑपरेंडी) अपनाना शुरू कर दिया है। इसके तहत वे किसी अन्य को हॉटस्पॉट की सुविधा का इस्तेमाल कर बातचीत कर रहे हैं। आतंकवादी और उनके सहयोगी पाकिस्तान में बैठे आकाओं तथा आपस में अब सिम कार्ड के हॉटस्पॉट का इस्तेमाल कर बातचीत कर रहे हैं। साथ ही वे उन मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं जिन पर पुलिस द्वारा संदेह किए जाने की संभावना कम है। सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दौरान इस नए तौर तरीकों का खुलासा हुआ है।
पुलिस ने चेतावनी देते हुए कहा है कि फोन आपके हाथ में हो सकता है, लेकिन कोई अन्य व्यक्ति चाहे आतंकवादी हो या उससे सहानुभूति रखने वाला, फोन की हॉटस्पॉट सुविधा का उपयोग कर सकता है। सुरक्षा रडार से बचने के लिए आतंकवादियों और उनके भूमिगत कार्यकर्ताओं द्वारा अपनाए गए नए तौर तरीकों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सिम कार्ड का गलत उपयोग या हॉटस्पॉट के माध्यम से किसी आतंकवादी को संचार सुविधा प्रदान करना, कार्डधारक को जांच के लिए उत्तरदायी बना देगा। साथ ही उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
पुलिस ने कहा कि सिम कार्डधारक इस तथ्य के पीछे नहीं छिप सकते कि वे स्वयं आतंकवाद में नहीं हैं और उनके सिम कार्ड का सीधा आतंकवादियों द्वारा उपयोग नहीं किया गया है। किसी के सिम कार्ड को च्हॉटस्पॉटज् के जरिए इस्तेमाल करने देना सीधे तौर पर उसकी जिम्मेदारी की श्रेणी में है।