खतरे में विश्व की पत्रकार शैली……….तथा-कथित आरोप लगा विदेशी पत्रकार को जेल में धकेला,निंदा

प्रतीकात्मक तस्वीर

लेखक विनय कोछड़.नई दिल्ली। 

विश्व की पत्रकार शैली खतरे में हैं। इस बात का यहीं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमेरिकी पत्रकार इवान गोर्शकोलिच को तथाकथित आरोप लगाकर रूस देश ने जेल में धकेल दिया। उन पर जासूसी के झूठे आरोप लगाए गए, जबकि, विश्व पत्रकार शैली , उक्त पत्रकार बेकसूर मान रही हैं। उनके बारे कहा जा रहा है कि वह हमेशा से ही स्वतंत्र तथा सच्ची पत्रकारिता की नई मिसाल पैदा करते आए। एक पत्रकार का मौलिक अधिकार बनता है कि वह अपनी पत्रकारिता को सही जगह इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन, मास्को ने बिना वजह को झूठे तथा तथाकथित आरोप में जेल के भीतर धकेल कर, इस बात को साबित कर दिया कि उसके खिलाफ आवाज उठाने वाले का यही हश्र होगा। 

द वाल स्ट्रीट के वरिष्ठ पत्रकार इवान गोर्शकोलिच देश-विदेश की धरती में पत्रकारिता के दम पर बहादुरी तथा देश सेवा का परिचय दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनके पास विश्व में कई जगह पत्रकारिता करने का अवसर मिला, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। कभी नियमों से परे काम नहीं किया। हमेशा अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए पत्रकारिता में नई मिसाल कायम की। कुछ समय पूर्व, उन्हें मास्को में पत्रकारिता करने का अवसर मिला। वहां पर भी पत्रकारिता से जुड़ी खबरों को प्रकाशित कर रहे थे। 

कुछ दिन पहले मास्को की एक एजेंसी ने तथाकथित आरोप लगाकर वरिष्ठ पत्रकार को हिरासत में ले लिया। उन पर झूठे आरोप लगा दिए कि उन्होंने देश विरुद्ध जासूसी की। जबकि, जानकार बता रहे है कि वह ऐसा कुछ नहीं कर सकते , क्योंकि, एक पत्रकार सिर्फ तो सिर्फ अपने नियम तथा कायदे में रहकर ही काम करता हैं। जानबूझकर, उन्हें फंसाया जा रहा हैं। अब वक्त ही की , विश्व बिरादरी को इस मुद्दे को गंभीरता से देखना होगा। मामला , पत्रकार शैली से जुड़ा हैं। खासकर, अमेरिका देश को भी इस बात पर विरोध जताना चाहिए तथा इसे ऊपर तक लेकर जाना चाहिए। 

उधर, विश्व पत्रकार संगठन ने भी पत्रकार पर लगे आरोपों का खंडन करते कहा कि जानबूझकर पत्रकार को झूठा फंसाया जा रहा हैं। सरकार कुछ भी कर सकती हैं। उसके पास शाक्तियां है, जिसे मर्जी दबा सकती हैं। लेकिन, पत्रकार पर झूठे आरोप लगाना, एक तरह से चौथे स्तंभ पर बड़ा हमला हैं। 

आरोप साबित होने पर यह सजा

कानून जानकार बता रहे है कि अगर पत्रकार पर जासूसी का आरोप साबित हो जाता है तो उन्हें 20 वर्ष की सज़ा हो सकती हैं। उन पर गोपनीय जानकारी दूसरे देश को साझा करने के आरोप तहत मामला दर्ज किया गया। इस पूरे प्रकरण को लेकर जांच पड़ताल की जरूरत हैं। क्योंकि, जांच पड़ताल में सारी सच्चाई सामने आएगी। फिलहाल, आरोप लगा है, साबित भी होना जरुरी हैं। 

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