एसएनई नेटवर्क.नई दिल्ली।
रूस यूक्रेन युद्ध की चर्चा के बीच शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत ने महात्मा गांधी के न्यासिता सिद्धान्त (Trusteeship) और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। यूएन में भारत के स्थायी मिशन और आर्थिक और सामाजिक परिषद चैंबर में यूनिवर्सिटी फॉर पीस (University for Peace) की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में दुनियाभर के कई देशों के राजनयिकों ने शिरकत की।
इस संगोष्ठी में टिकाऊ जीवन शैलियों और सतत शांति को प्रोत्साहन देने के लिए मानव उत्कर्ष विषय पर भी खास जोर दिया गया। संगोष्ठी में विविध नेतृत्व पृष्ठभूमि वाले उच्च-स्तरीय वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इसमें विशेषज्ञों ने कहा कि दुनिया से गरीबी, भुखमरी और गहराई विषमताएं, पूर्वाग्रह, नस्लभेद व बढ़ती ‘हेट स्पीच’ जैसी चुनौतियों को गांधी जी के मूल्यों को अपनाकर हराया जा सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर हुई वोटिंग
रूस-यूक्रेन युद्ध को आज एक साल पूरा हो गया है। वहीं यूक्रेन में व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति तक पहुंचने की आवश्यकता पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। गुरुवार को UNGA में एक ‘ऐतिहासिक मतदान’ में देशों ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा की। 141 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि सात ने इसका विरोध किया। वहीं, चीन और भारत सहित 32 सदस्य मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे। यह प्रस्ताव रूस से शत्रुता समाप्त करने और यूक्रेन से सैनिकों की वापसी का आह्वान करता है।
यूक्रेन में न्यायोचित, स्थायी शांति की आवश्यकता को रेखांकित करने वाले प्रस्ताव से भारत ने बनाई दूरी
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप यूक्रेन में जल्द से जल्द व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति हासिल करने की आवश्यकता को रेखांकित करने वाले एक प्रस्ताव पर यूएनजीए में मतदान के दौरान भारत अनुपस्थित रहा। 193-सदस्यीय महासभा ने यूक्रेन और उसके समर्थकों द्वारा प्रस्तावित मसौदा प्रस्ताव को अपनाया, जिसका शीर्षक था ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांत के अंतर्गत यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का आधार’।
यूक्रेन ने प्रस्ताव में रखी यह मांग
प्रस्ताव में सदस्य राज्यों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को चार्टर के अनुरूप यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए राजनयिक प्रयासों के समर्थन को दोगुना करने का आह्वान किया गया। यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो इसके समुद्री सीमा तक फैली हुई है। साथ ही अपनी मांग को दोहराया कि रूस जल्द से जल्द पूरी तरह से और बिना शर्त के अपने सभी सैन्य बलों को यूक्रेन के क्षेत्र से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर वापस ले और शत्रुता को समाप्त करने का आह्वान करे।
क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता
रूस द्वारा 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से संयुक्त राष्ट्र के महासभा, सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में लाए गए कई प्रस्तावों में आक्रमण की निंदा की गई है और यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है।
भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित: रुचिरा कंबोज
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है। संघर्ष के कारण अनगिनत लोगों की जान चली गई और लाखों लोग बेघर हो गए हैं। नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमले गंभीर रूप से चिंता के कारण हैं। आज UNGA यूक्रेनी संघर्ष के एक वर्ष के रूप में चिह्नित है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद से कुछ प्रासंगिक प्रश्न पूछें कि क्या हम दोनों पक्षों को स्वीकार्य संभावित समाधान के करीब हैं, क्या कोई भी प्रक्रिया जिसमें दोनों पक्षों में से कोई भी शामिल नहीं है, कभी भी एक विश्वसनीय समाधान की ओर ले जा सकती है?
कूटनीति एकमात्र विकल्प
क्या 1945 के विश्व निर्माण पर आधारित संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अप्रभावी नहीं हो गए हैं? भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करता है, हम हमेशा संवाद और कूटनीति को ही एकमात्र रास्ता मानते हैं। स्थायी शांति हासिल करने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने में इसकी सीमाओं को देखते हुए हम आज के प्रस्ताव के घोषित उद्देश्यों पर ध्यान देते हैं, लेकिन हम इससे दूर रहने के लिए विवश हैं।