EXCLUSIVE—SOFT टारगेट था ICICI बैंक……रातों-रात अमीर बनने की ख्वाहिश ने डुबाया, पुलिस पूछताछ में हुआ बड़ा खुलासा

7.7 लाख भारतीय मुद्रा, 1 पिस्टल 30 बोर, 5 जिंदा कारतूस, 1 नकली पिस्टल सहित 3 गिरफ्तार

वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर।

आईसीआईसीआई बैंक डकैती मामले के कथित अपराधी गिरफ्तार कर लिए गए। गिरफ्तारी रविवार को भाई मंझ सिंह क्षेत्र से जुई। वारदात को अंजाम देने वालों की कुल संख्या 3 थी। प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ कि आईसीआईसीआई बैंक की शाखा उनके लिए एक सॉफ्ट टारगेट था। किसी प्रकार से कोई सुरक्षाकर्मी होने की बात पूर्व में पता चल गई थी। रातों-रात अमीर बनाने की ख्वाहिश ने उन्हें डूबा डाला। कब्जे से अपराधी में इस्तेमाल की गई 1 पिस्टल 30 बोर, 5 जिंदा कारतूस, 1 नकली पिस्टल , डकैती की 7.7 लाख भारतीय मुद्रा को बरामद कर लिया गया। किसी अज्ञात जगह में पैसा छिपा कर रखा गया था। शेष रकम जल्द वसूलने के बारे पुलिस पुष्टि कर चुकी है। बैंक में किसी की संलिप्तता के बारे कोई पुष्टि नहीं की गई। 

जिला पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने बताया कि वारदात के समय उनकी सभी पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई थी। बैंक के सीसीटीवी कैमरा में चेहरों को पहचान लिया गया था। अलग-अलग टीम का गठन कर वारदात को सुलझाने का काम शुरु कर दिया गया था। रविवार को सभी को भाई मंझ के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ आरंभ हुई। अपना जुर्म कबूल करते कहा कि वारदात को उन्होंने अंजाम दिया। रेकी कर पता लगाया गया कि बैंक में कोई सुरक्षाकर्मी नहीं है। इसका फायदा उठाकर बैंक में डकैती की गई। 7 लाख 70 हजार की रिकवरी कर ली गई। वारदात में इस्तेमाल पिस्टल तथा कारतूस भी बरामद कर लिया गया। हथियार अवैध निकला है। 

दो है कथित पेशेवर अपराधी पेशेवर

जांच-पड़ताल में सामने आया कि सूरज तथा इंद्रजीत सिंह पेशेवर कथित अपराधी है। दोनों के खिलाफ दर्जन भर आपराधिक मामले दर्ज है। जबकि, अन्य साथी प्रिंस के खिलाफ पहले से कोई मामला दर्ज नहीं है। आयु 19 से लेकर सभी 32 के करीब है। शिक्षित कम है। नशे तस्करी से जुड़ा कोई मामला दर्ज नहीं है। पूर्व में तकरीबन चोरी के मामले ही दर्ज है। जमानत से बाहर आने के उपरांत फिर से जुर्म की दुनिया में पैर रख दिया। 

कुछ अनसुलझे सवाल

डकैती की वारदात में किसी बैंक के भीतर वाले का साथ मिलना स्वाभाविक माना जा सकता है। क्योंकि, बिना भेद के वारदात को अंजाम देना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन, पुलिस ने इस बात की किसी भीतर वाले की संलिप्तता बारे पुष्टि नहीं की। कहीं न कहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी शक होता है कि शायद इस पहलू को सार्वजनिक करना उनकी कोई न कोई मजबूरी भी हो सकती है। क्योंकि, सबसे बड़ा सवाल , इस केस से जुड़ा यह है कि चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले के लिए डकैती करना कोई आसान बात नहीं हो सकती है। कहीं न कहीं इसके पीछे किसी बड़े अन्य का दिमाग हो सकता है। जिस पर शायद पुलिस का ध्यान नहीं जा रहा हों। 

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